Aaj ki Baat
इमाम हुसैन की कुर्बानी - मोहनदास करमचंद गांधी: मैंने हुसैन से सीखा की मज़लूमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है! इस्लाम की बढ़ोतरी तलवार पर निर्भर नहीं करती बल्कि हुसैन के बलिदान का एक नतीजा है जो एक महान संत थे ! रबिन्द्र नाथ टैगौर : इन्साफ और सच्चाई को ज़िंदा रखने के लिए, फौजों या हथियारों की ज़रुरत नहीं होती है! कुर्बानियां देकर भी फ़तह (जीत) हासिल की जा सकती है, जैसे की इमाम हुसैन ने कर्बला में किया! पंडित जवाहरलाल नेहरु : इमाम हुसैन की क़ुर्बानी तमाम गिरोहों और सारे समाज के लिए है, और यह क़ुर्बानी इंसानियत की भलाई की एक अनमोल मिसाल है! डॉ राजेंद्र प्रसाद : इमाम हुसैन की कुर्बानी किसी एक मुल्क या कौम तक सिमित नहीं है, बल्कि यह लोगों में भाईचारे का एक असीमित राज्य है! डॉ. राधाकृष्णन : अगरचे इमाम हुसैन ने सदियों पहले अपनी शहादत दी, लेकिन इनकी इनकी पाक रूह आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है! स्वामी शंकराचार्य : यह इमाम हुसैन की कुर्बानियों का नतीजा है की आज इस्लाम का नाम बाक़ी है नहीं तो आज इस्लाम का नाम लेने वाला पुरी दुनिया में कोई भी नह...