Aaj ki Baat !

भारत की राजनीति के साथ साथ भारत की पत्रकारिता भी अजब गजब रंग दिखा रही है । 
कहने के लिए तो पत्रकारिता व् पत्रकार दोनों निष्पक्ष होते है परन्तु वो ज़माने अब गए जब होते थे आज तो कीमत तय करो और मंडी से उठा लो ।

भारत इतिहास के उस सबसे गंदे समय से गुजर रहा है जहाँ राजनितिक पार्टिया क्या कांग्रेस भाजपा सपा बसपा सब की सब अपने चहेते कॉर्पोरेट के ऊपर हाथ रखती है और अपार धन बरसने लगते है फिर जितना मर्जी लुटाओ । 

यही धन वो इस देश की पत्रकारिता को छिन्न भिन्न करने में प्रयोग करते है । चुनाव आये नही की काला धन वापस खुद बे खुद हवाला के जरिये आता है और बन्दर बॉट की भाँति बिकाऊ मोदिया_हाउस में बॉट दिया जाता है जो जितना जलील उसको उतने पैसे उसकी उतनी बोली ऊपर जाती है । 

मुझे तो ये खेल अब IPL से कम या रोमांचकारी नही लगता है ठीक IPL की भाँति ही यहाँ भी चुनाव के नजदीक आते ही चन्द सुवार्थि उद्योगपति अम्बानी अडानी सुभाष चंद्रा जैसे घराने सामने आते है और मिडिया हाउस व् #एंकरों की बोलिया लगती है रेट इस बात से तय होता है की कौन सा चैनल कितना गिर सकता है 

कौन सा एंकर कितना गिर कर झूटी एडिट करके फ़ोटो वीडियो या खबरे कुछ घंटो नही कुछ दिन तक चला कर देःश को भ्रमित गुमराह व् दूसरे की इमेज को मिटटी में मिला सकता है ।

पत्रकारिता का स्तर इतना गिर गया की संदीप_चौधरी जैसे पत्रकार जो काउंटर स्टिंग में 100 करोड़ की डील करते पकडे जाते है गिरफ्तार होते है और फिर देश के सामने बड़ी बेशर्मी से पत्रकारिता करते है । नाम और भी है ये जमात दरअसल इतनी लंबी हो गई है की दिन से रात हो जाये । 
बिकाऊ मिडिया कर्मियो ने देश की बच्चियो तक को नही बक्शा पहले से दरिंदगी की शिकार महिलाओ को TRP के लिए कई बार उनके चेहरे दिखा दिए तो कभी नाम बता दिए । 

और जो दोषी है उनके चेहरे को ब्लैर कर देते । 
TRP का खेल देश ही नही विदेशो में भी खूब देखा गया । नेपाल त्रासदी ने किसे नही रुलाया किसके दिल को नही दुखाया उस विपत्ति के समय भी भारतीय बिकाऊ मिडिया कर्मी लाशो पर भी राजनीति कर रही थी खुद अंजना ओम कश्यप इसके लिए निशाने पर रही और यहाँ तक की नेपाल को भारतीय मिडिया को बैन कर वापस भेजना पड़ा । 

सच्ची खबरों को दबाना झूटी को दिखाना जो जैसे धर्म बन गया हो इनका । 
#ललित गेट 
#PDS 
#LED
 #व्यापम जैसे नरसंहार घोटाले को दबा राधे माँ आशाराम ढोंगी बाबाओ खुनियो पर डिबेट चला TRP बढ़ा रहे होते है । 

न्यूज़ चैनल के लाइसेंस ले कर घंटो एडवरटाइज़ सास बहु के सीरयल नाटको के सेट की सेर कराई जाती है तो कभी कॉमेडी नाईट दिखाई जाती है अरे जिसे कॉमेडी देखनी होती या सास बहु के सीरयल तो वो न्यूज़ चैनल के बटन क्यों दबाता ।

 और कमाल की बात यह है की आज तक न इस पर #PIL डाली गई न ही खुद न्यूज़ ब्रोडकास्ट एथोरिटी ने एक्शन लिया । सब आखे बंद कर बैठे है । 

दीपक चोरसिया संदीप चौधरी जैसे दलाल ऐसे ही नही कुबेर के खजाने के मालिक बन गए इनके लिए न #ED है न ही इनकम टेक्स की रेड ।

ऐसा नही सभी बिकाऊ है कुछ ऐसे जाबाज भी है जिनके लिए आज भी भारत मतलब उनकी आत्मा है जिसे वो बेच कर उसका सौदा नही कर सकते फिर क्या जान क्या माल ?

उत्तर प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश तक हाल ही में कितने पत्रकारो को ज़िंदा जला दिया क्या दोष था उनका ? 
सिर्फ बुराइयो से लड़ रहे थे देश के गद्दारो को एक्सपोज़ कर रहे थे । 

खुद आकाश जैसे जाबाज पत्रकार की खबर को कुछ घंटे भी न चला सका मिडिया । ओरो की तो छोड़ो AAJTak जहाँ उन्होंने प्राण गवाए वो खुद इन्साफ दिलाने में पीछे रह गया । 

रजत शर्मा जैसे पत्रकार जो लोकसभा चुनाव में स्क्रिप्टेड भक्तो को बुला देशवासियो को पागल बना गए व् अपने कलीग तनु शर्मा को खुदखुसि तक मजबूर कर दिया एक पत्रकार ने आवाज नही उठाई क्यों ?
ऐसे समय में जब हर और बोली लग रही है नही तो ज़िंदा जलाया जा रहा वही 

#रविश जैसे पत्रकार आज भी सीना चौड़ा करके निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे है जो गलत है तो उसे गलत जो सही है उसे सही न ठहरा कर बल्कि जनता पर छोड़ देते है वो बस दोनों पक्षो को सामने रख देते है ।
आखिर ऐसा क्या है रविश में की उनका जमीर कोई आज तक नही खरीद पाया । क्यों अपनी जान पर खेल कर आज भी वो ईमानदार पत्रकारिता को ज़िंदा करने में लगे है । क्या मिलेगा इससे उन्हें ? 

कलाम साहब को ही क्या मिला जो मिला था वो भी ठुकरा दिया था । कुछ लोग जीवन भर पैसा कमाते है तो कुछ जीवन भर अपार इज्जत सम्मान प्रेम गुण शिक्षा लेखन ज्ञान कमाते है ।

कुछ भी हो सलाम है तुम जैसे पत्रकार को तुम हो तो आज भी हम न्यूज़ चैनल देख लेते है नही तो न्यूज़ क्या होती है भूल ही गए होते ।

बिकाऊ मिडियाकर्मियो को ठेस लगी हो तो माफ़ करना

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