Aaj Ki Baat !
पहले बाबू बजरंगी फिर असीमानंद और कल कोई किसी और को जमानत मिल जायेगी। यही है अच्छे दिनों का आगाज। अब ये मत कहना कि बम विस्फोट क्यों होते हैं ? और हमेशा निर्दोष ही क्यों पकड़े जाते हैं ? और दोषी क्यों बच जाते हैं ? अभी आगे – आगे देखिये क्या होता है। अभी तो गोडसे को वीर चक्र या भारत रत्न भी दिया जाये तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिये। सोशल जस्टिस की धज्जियां उड़ाने वाले संघी न्यायधीशों ने भी मन में आशा पाल रखी है रिटायरमेंट के शायद किसी आयोग की अध्यक्षता मिल जाये या फिर किसी राज्य के राज्यपाल का पद। इसी आशा के साथ वे न्याय की देवी के साथ ‘बलात्कार’ कर रहे हैं ।
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