संगठन रणवीर सेना के छह पूर्व कमांडरों ने स्टिंग में कुबूला 144 लोगों को मौत के घाट उतारने का सच

नई दिल्ली।1995 से लेकर 2000 तक बिहार में छह बड़े नरसंहारों में 144 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले संगठन रणवीर सेना के छह पूर्व कमांडरों का स्टिंग ऑपरेशन सामने आया है।स्टिंग में चंदकेश्वर सिंह, रविंद्र चौधरी, प्रमोद सिंह, भोला सिंह, अरविंद कुमार सिंह और सिद्धनाथ सिंह ने बताया है कि किस तरह रणवीर सेना ने नरसंहारों को अंजाम दिया।कमांडरों ने यह भी बताया कि किसने उनकी ट्रेनिंग, हथियार और राजनीतिक मदद के साथ आर्थिक मदद की।चंदकेश्वर सिंह ने बताया कि किस तरह उन्होंने 100-200 रुपए की गोली बचाने के लिए पांच मछुआरों का गला चाकू से रेत दिया था।रविंद्र चौधरी ने बताया कि सेना के जवान उन्हें ट्रेनिंग देते थे।चौधरी ने बच्चों और महिलाओं के मारे जाने पर कहा कि जब आम तोड़ने के लिए डंडा चलाया जाता है तो पके आम के साथ कच्चा भी टूट जाता है।इन कमांडरों में से दो को पटना हाईकोर्ट सबूतों की कमी के चलते बरी कर चुका है।कोबरापोस्ट ने यह स्टिंग किया है।स्टिंग के खुलासे को बिहार में होने वाले चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
किन नरसंहारों को दिया अंजाम-सरथुआ (1995), बेथानी टोला (1996), लक्ष्मणपुर बाथे (1997), इकवारी (1997), शंकर बीघा (1999) और मियांपुर (2000)। इन नरसंहारों में मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
चंदकेश्वर सिंह:क्यों गोली खर्च करेंगे?चाकू मेरे पास है
रणवीर सेना के कमांडर रहे चंदकेश्वर सिंह ने छह नरसंहारों की अगुवाई की थी।निचली अदालत ने उसे उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।लेकिन पटना हाईकोर्ट ने अक्टूबर, 2013 में बरी कर दिया था।स्टिंग में चंदकेश्वर सिंह ने माना है कि वे 1996 में बेथानी टोला नरसंहार में शामिल थे जिसमें 22 दलित मारे गए थे।इस बारे में चंदकेश्वर ने कहा ‘तीन बजा और हमारा सेना गोली चलाना चालू कर दिया..तीन बजे दिन में नरसंहार कर दिया।वहां पुलिस चौकी भी थी।कुछ लाश उसमें से बाहर खींच लिया था तब पर भी 22 लाश वहां पर था।हां 22 लोगों का लाश वहां पर था।
चंदकेश्वर के मुताबिक उन्होंने सोन नदी के किनारे रहने वाले निचली जाति के पांच मछुआरों की गला रेतकर हत्या भी थी।इस बारे में उन्होंने बताया ‘हां, मुंडी काटा था।गुस्सा आ गया।जैसे गोली से क्यों मारेंगे हम?क्यों गोली खर्च करेंगे?चाकू मेरे पास है ही।सौ दो सौ की गोली बर्बाद (क्यों) करेंगे हम?चाकू से ही इसको काटो..काट दिए।पांचों मछुआरों पर सीपीआईएमएल के समर्थक होने के शक था।लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में 58 लोगों की हत्या करने के बाद चंदकेश्वर सिंह ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था।
रविंद्र चौधरी:सेना के जवान देते थे ट्रेनिंग 
1995 में नरसंहार में अहम रोल निभाने वाले रविंद्र चौधरी को कोर्ट से रिहाई मिल चुकी है।रविंद्र चौधरी रणवीर सेना की ओर से किए गए नरसंहारों में अपनी भूमिका मानते हैं।उन्होंने कहा ‘हम लोग तो ऐसा रणनीति बनाए थे कि एक ही दिन में पचास गांवों में नरसंहार हो तब जाकर सरकार की नींद टूटेगी नहीं तो सरकार तो बस यही सोच रही है कि एक देश में अल्पसंख्यक हैं अति पिछड़े हैं, पिछड़े हैं इसके अलावा कोई जाति नहीं है।ट्रेनिंग के बारे में चौधरी ने बताया ‘ट्रेनिंग मिलिट्री के जवान लोग करवाते थे।जो हम लोगों के मिलिट्री के आदमी हैं वो छुट्टी पर आते थे तो वो देते थे।मान लीजिए कि इतना बड़ा गांव है तो चार सौ दो सौ मिलिट्री के जवान हैं..गांव में अगर एक-दो भी आ गया तो काम चल गया।महिलाओं और बच्चों की हत्या पर भी चौधरी को कोई अफसोस नहीं है।चौधरी ने कहा ‘अब मान लीजिए की आपको भेजा गया कि दो पका आम तोड़ के लाओ और वह डंडा चलाया।पेड़ पर तो आठ पका गिरा तो पांच कच्चा गिर गया।भेजा गया कि हत्या कीजिए जवानों की और जवानों के साथ बच्चा मिल गया तो उसका भी सफाई किया तो पेमेंट पर नहीं है कि उसका पेमेंट काट लिया जाएगा या दंडित किया जाएगा।
सिद्धनाथ:मिलिट्री का रिजेक्ट माल मिला था
रणवीर सेना के मुखिया रहे ब्रह्मेश्वर सिंह के करीबी और पूर्व कमांडर सिद्धनाथ ने स्टिंग में बताया ‘एक नजदीकी थे..सूर्य देव, धनबाद..तो सूर्य देव बाबू वहां से मिलिट्री का ढेर सारा सामान रिजेक्टेड ले आए थे और उनके पास से हम लोगों को प्राप्त हुआ था।
अरविंद कुमार सिंह महंगा हथियार खरीदा था
इकवारी में 1996 और 1997 में हुए नरसंहार में शामिल होने की बात मानते हुए अरविंद कुमार सिंह ने बताया ‘हां इकवारी में दो नरसंहार हुआ था।पहले नरसंहार में सात लोग और दूसरे में 8-9 लोग मारे गए थे।हथियार वगैरह सब घर में था..बचाव के लिए तो सब कुछ खरीद रखा था ना…कुछ महंगा हथियार खरीदा था।
प्रमोद सिंह: नक्सली सपोर्टर गांव था
पटना हाईकोर्ट ने प्रमोद सिंह को बरी कर चुका है।लेकिन किसी अन्य मामले में वे अब भी आरा जेल में बंद हैं।औरंगाबाद जिले के मियांपुर में 2000 में हुए नरसंहार में शामिल होने की बात प्रमोद सिंह ने मानी है।उन्होंने कहा ‘गांव जो था नक्सली सपोर्टर गांव था।रणवीर सेना के टारगेट पर बहुत पहले से था।उस कार्य को लोग अंजाम दिया।
भोला राय:सब पकड़े गए सब मारे गए
भोजपुर जिले के रहने वाले भोला राय की तलाश बिहार पुलिस को अब भी है।स्टिंग में दावा किया गया है कि भोला राय अब परिवार के साथ छुपकर टाटा नगर में रहते हैं।58 दलितों को मौत के घाट उतारने वाले लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में शामिल रहे रणवीर सेना के पूर्व कमांडर भोला राय ने बताया ‘उसको लीड किया था एकवारी का है हमारा एक भतीजा था संतू नाम था।नदी के उस पार बाथे है और इस पार हम लोग हैं तो…इधर से उधर वो अपना आता-जाता था।सोन में उसी की नाव थी।नाव से इधर-उधर आ जाता था और इधर कुछ क्राइम करके चला जाता था…हम लोगों को भी ऐसा लगा कि उधर से आ रहा है तो काहे नहीं उसके गांव में चढ़ जाएं।वहीं पर छिपा होगा।चढ़ जाएं।प्लान बना दिए चढ़, चढ़ गए और जाकर।सोए हुए थे सब सोए में सब पकड़ा गया।सब मारा गया।हम लोगों का वहां पर कोई कैजुअलिटी नहीं हुआ।

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