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विश्व हिंदू परिषद ने सीआईए से ठेका लिया था?

भगवान राम की जन्मभूमि पर विशाल मन्दिर के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक सेवानिवृत्त आई.पी.एस. अधिकारी द्वारा ऐन रामनवमी के दिन सनसनीखेज ‘आत्मबलिदान’ के बीच आयोध्या इन दिनो एक रहस्योद्घाटन से दो चार हो रही है। वह यह कि विश्व हिंदू परिषद ने 6 दिसम्बर, 1992 को हुए विवादित ढांचे के ध्वंस के लिए अमरीकी खुफिया एजेंसी (सी.आई.ए.) और एक भारतीय आयुर्वेदिक दवा निर्माता कम्पनी से ठेका लिया था और इसकी एवज में करोड़ों रूपए वसूले थे।

यह रहस्योद्घाटन लखनऊ में ध्वंस के मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के सामने सीबीआई के गवाह महन्त युगलकिशोर शरण शास्त्री ने प्रतिष्ठित जैनमुनि आचार्य सुशील के हवाले से पिछले दिनों किया और अब इसकी कड़ियां अमरीकावासी यहूदी बुद्धिजीवी जोनाथन माइकल अजाजिया के ब्लॉग से जोड़ी जा रही हैं जिसमें उन्होंने लिखा था कि ढांचे का ध्वंस अमरीकी व इजराइली खुफिया एजेंसियों (सीआईए व मोशाद) का सोचा समझा आपरेशन था और इस आपरेशन में उनका दिमाग व धन दोनो लगे थे। कई लोग इस रहस्योद्घाटन को विकीलीक्स के उस खुलासे तक भी ले जा रहे हैं जिसमें भाजपा नेता अरूण जेटली को अमरीकी राजदूत से यह कहते हुए बताया गया था कि हिन्दुत्व तो उनकी पार्टी के लिए अवसरवादी मुद्दा है। तो क्या वह इसलिए अवसर था कि उसका उपयोग करके सीआईए वगैरह से धन की आमद होती थी?

पूरा खुलासा पढने के लिए लिंक पर क्लिक करें........

http://hindi.citizen-news.org/2011/07/blog-post.html

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