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Showing posts from August, 2017

तीन तलाक पर कैसे फंसी भाजपा ? देखें ये पांच सवाल, जिसने भाजपा की उम्मीदों पर फेरा पानी

नई दिल्ली – सुप्रिम कोर्ट नें मंगलवार को तीन तलाक पर एतिहासिक फैसला सुनाया, अदालत ने एक साथ तीन तलाक पर छ महीने के लिये प्रतिबंध लगा दिया और सरकार को आदेश दिया कि वह छ महीने के अंदर संसद में कानून बनाये। तीन तलाक का मुद्दा कई महीनों से मीडिया में रहा है। कई टीवी चैनलों ने तो हलाला के नाम पर फर्जी स्टिंग ऑपरेशन तक करके लोगों को भ्रमित किया है। तीन तलाक पर सुप्रिम कोर्ट के फैसे पर भले ही मोदी सरकार को श्रेय देने की होड़ मच गई हो लेकिन सच्चाई यह है कि सुप्रिम कोर्ट ने भाजपा की भविष्य की कई योजनाओँ पर पानी फेर दिया है। मीडिया भले ही ‘मुस्लिम महिलाओं के के मोदी भाई जान’ स्लग लगाकर सरकार की वाह वाही लेना चाह रहे हो, लेकिन ये पांच सवाल भाजपा की सारी उम्मीद पर पानी फेरने के लिये काफी हैं। ये वे सवाल हैं जिनका हल भाजपा चाहती थी मगर इनमें से एक भी सवाल से उसे संतुष्टी नहीं मिली। 1- बीजेपी की मंशा थी कि तीन तलाक के बहाने पर्सनल लॉ में बदलाव हो. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार किया. 2- बीजेपी तीन तलाक को पूरी तरह से खत्म करवाकर कॉमन सिविल कोड की संभावनाएं देख रही थी, लेकिन उसके अरमानों पर पानी फि

मुस्लिम महिलाओं को ईसलाम ने वो सात अधीकार दियें हैं जिसकी मिसाल किसी दुसरे धर्म में नही मिलती

मुस्लिम महिलाओं को ईसलाम ने वो सात अधीकार दियें हैं जिसकी मिसाल किसी दुसरे धर्म में नही मिलती पाँच धर्मों के न्यायाधीश सज्जनों को इसलिए निर्णय का अधिकार दिया गया है कि कोई यह न कह सके कि निर्णय में कोई पूर्वाग्रह बरता गया हे.मज़े की बात यह है कि वैवाहिक जीवन के जो नियम इस्लाम में हैं वह किसी और धर्म में ही नहीं। मजेदार बात यह है कि दुनिया के सभी धर्मों ने तलाक की परंपरा इस्लाम से ली और अब सभी धर्मों के लोग इस्लाम के तलाक प्रणाली पर उंगलियां उठा रहे हैं। लिखना बहुत चाहता था, मगर केवल एक बात कह देता हूं कि मुक़दमा जीतने के लिए आम लोग वकील करते हैं, लेकिन खास लोग जज ही कर लेते हैं। यह पोस्ट उन न्यायाधीशों के लिए है जो इस मामले को देख रहे हैं। नक़ीबउल हसन के इस पोस्ट को वे न्यायाधीश सज्जन ज़रूर पढ़ें, जो अदालतों में तलाक के मसले पर पति पत्नियों के बेहूदा आरोप से थक कर तलाक का फैसला दे देते हैं। वे यह सोचें कि इस्लाम में तलाक का मामला दोष है, लेकिन इसमें भी सलीक़ा है। इस्लाम में महिलाओं को अत्यधिक अत्याचार और शोषण  आमतौर पर लोगों की धारणा यह है कि इस्लाम में महिलाओं को अत्यधिक अत्याचार और श