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Showing posts from 2017

सोहराबुद्दीन केस आपको याद होगा...

सोहराबुद्दीन केस आपको याद होगा... गुजरात पुलिस ने एक कथित फेक एनकाउंटर रच कर सोहराबुद्दीन को मार डाला था...इस केस में अमित शाह का भी नाम शामिल था...सोहराबुद्दीन केस मुंबई की सीबीआई अदालत के जज बृजगोपाल हरिकृष्ण लोया के पास था...2014 में मोदी सरकार बन जाने के बाद अचानक जज साहब की बेहद संदेहास्पद परिस्थिति में मृत्यु हो गयी...!!! एक अंग्रेजी पत्रिका कारवाँ ने यह खबर छापी है कि जज लोया के परिवार ने अब इस समूचे घटनाक्रम पर गंभीर सवाल उठाए हैं...परिवार का कहना है की  जज की मौत के पीछे गहरी साज़िश है....परिवार का कहना है संदेहास्पद परिस्थितियों में जस्टिस लोया का शव नागपुर के सरकारी गेस्टहाउस में मिला था...इस मामले में तत्कालीन भाजपा सरकार ने हार्टफेलियर का रूप दिया था...!!! परिवार ने इस संदिग्ध मौत पर निम्न सवाल उठाए हैं... 1-जस्टिस लोया की मौत कब हुई, इस पर अफसर से लेकर डॉक्टर तक खामोश क्यों हैं...? तमाम छानबीन के बाद भी अब तक मौत की टाइमिंग का खुलासा क्यों नहीं हुआ...??? 2- 48 वर्षीय जस्टिस लोया की हार्ट अटैक से जुड़ी कोई से  मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी,फिर मौत का हार्टअटैक से कनेक्शन कैसे...

तीन तलाक पर कैसे फंसी भाजपा ? देखें ये पांच सवाल, जिसने भाजपा की उम्मीदों पर फेरा पानी

नई दिल्ली – सुप्रिम कोर्ट नें मंगलवार को तीन तलाक पर एतिहासिक फैसला सुनाया, अदालत ने एक साथ तीन तलाक पर छ महीने के लिये प्रतिबंध लगा दिया और सरकार को आदेश दिया कि वह छ महीने के अंदर संसद में कानून बनाये। तीन तलाक का मुद्दा कई महीनों से मीडिया में रहा है। कई टीवी चैनलों ने तो हलाला के नाम पर फर्जी स्टिंग ऑपरेशन तक करके लोगों को भ्रमित किया है। तीन तलाक पर सुप्रिम कोर्ट के फैसे पर भले ही मोदी सरकार को श्रेय देने की होड़ मच गई हो लेकिन सच्चाई यह है कि सुप्रिम कोर्ट ने भाजपा की भविष्य की कई योजनाओँ पर पानी फेर दिया है। मीडिया भले ही ‘मुस्लिम महिलाओं के के मोदी भाई जान’ स्लग लगाकर सरकार की वाह वाही लेना चाह रहे हो, लेकिन ये पांच सवाल भाजपा की सारी उम्मीद पर पानी फेरने के लिये काफी हैं। ये वे सवाल हैं जिनका हल भाजपा चाहती थी मगर इनमें से एक भी सवाल से उसे संतुष्टी नहीं मिली। 1- बीजेपी की मंशा थी कि तीन तलाक के बहाने पर्सनल लॉ में बदलाव हो. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार किया. 2- बीजेपी तीन तलाक को पूरी तरह से खत्म करवाकर कॉमन सिविल कोड की संभावनाएं देख रही थी, लेकिन उसके अरमानों पर पानी फि

मुस्लिम महिलाओं को ईसलाम ने वो सात अधीकार दियें हैं जिसकी मिसाल किसी दुसरे धर्म में नही मिलती

मुस्लिम महिलाओं को ईसलाम ने वो सात अधीकार दियें हैं जिसकी मिसाल किसी दुसरे धर्म में नही मिलती पाँच धर्मों के न्यायाधीश सज्जनों को इसलिए निर्णय का अधिकार दिया गया है कि कोई यह न कह सके कि निर्णय में कोई पूर्वाग्रह बरता गया हे.मज़े की बात यह है कि वैवाहिक जीवन के जो नियम इस्लाम में हैं वह किसी और धर्म में ही नहीं। मजेदार बात यह है कि दुनिया के सभी धर्मों ने तलाक की परंपरा इस्लाम से ली और अब सभी धर्मों के लोग इस्लाम के तलाक प्रणाली पर उंगलियां उठा रहे हैं। लिखना बहुत चाहता था, मगर केवल एक बात कह देता हूं कि मुक़दमा जीतने के लिए आम लोग वकील करते हैं, लेकिन खास लोग जज ही कर लेते हैं। यह पोस्ट उन न्यायाधीशों के लिए है जो इस मामले को देख रहे हैं। नक़ीबउल हसन के इस पोस्ट को वे न्यायाधीश सज्जन ज़रूर पढ़ें, जो अदालतों में तलाक के मसले पर पति पत्नियों के बेहूदा आरोप से थक कर तलाक का फैसला दे देते हैं। वे यह सोचें कि इस्लाम में तलाक का मामला दोष है, लेकिन इसमें भी सलीक़ा है। इस्लाम में महिलाओं को अत्यधिक अत्याचार और शोषण  आमतौर पर लोगों की धारणा यह है कि इस्लाम में महिलाओं को अत्यधिक अत्याचार और श

इतिहास बताता है कि संघ परिवार कितना बड़ा देशभक्त है

संघ परिवार ने बड़ी चतुराई से अपने कृत्यों पर ‘राष्ट्रवादी’ होने का लेबल चिपका लिया है और मीडिया ने बिना सोचे-विचारे उसे स्वीकार कर लिया है. मामला चाहे दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के हालिया हमले का हो, या पिछले साल फरवरी में हुई जेएनयू की घटना का, या मोदी सरकार के कार्यकाल में ‘देशद्रोही’ कलाकारों, पत्रकारों पर हुए हमलों का- प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कई संस्थान ख़ुशी-ख़ुशी इन संघर्षों को ‘अभिव्यक्ति की आजादी बनाम राष्ट्रवाद’ की लड़ाई के झूठे युग्मक (बाइनरी) के तौर पर पेश करने की कोशिश करते दिखे हैं. संघ परिवार ने बड़ी चतुराई से अपने और अपने कृत्यों पर ‘राष्ट्रवादी’ होने का जो लेबल चिपका लिया है, उसे बिना सोचे-विचारे इन मीडिया संस्थानों ने स्वीकार कर लिया है. यह स्वीकृति दरअसल हमारे कई वरिष्ठ पत्रकारों के इतिहास के कम ज्ञान की गवाही देती है. आज़ादी के राष्ट्रीय संघर्ष के साथ हिंदुत्ववादी शक्तियों द्वारा किया गया धोखा, उनके सीने पर ऐतिहासिक शर्म की गठरी की तरह रहना चाहिए था, लेकिन इतिहास को लेकर पत्रकारों की कूपमंडूकता हिंदुत्ववादी शक्तियों

Kiya ye Ghundagardi Hai

मैं एयरपोर्ट के पास रहता हूं ऐरोप्लेन की आवाज से मेरी नींद खुल जाती है। *#ये_क्या_गुंडागर्दी_है?* मैं रेलवे स्टेशन के पास रहता हूं ट्रेन के भोपू से मेरी नींद खुल जाती है। *#ये_क्या_गुंडागर्दी_है?* मैं राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे रहता हूं वाहनों की आवाजों से मेरी नींद खुल जाती है। *#ये_क्या_गुंडागर्दी_है?* मैं हॉस्पिटल के पास रहता हूं एम्बुलेंस की आवाज से मेरी नींद खुल जाती है *#ये_क्या_गुंडागर्दी_है?* हकीकत ये है कि हमारी नींद नहीं ख़राब हो रही है बल्कि हम असहिष्णु होते जा रहे हैं!

मस्लक मस्लक खेलते रहो...

🔺60हजार शाखाएं🔺60 लाख स्वयंसेवक🔺30 हजार विद्यामंदिर🔺3 लाख आचार्य🔺50 लाख विद्यार्थी🔺90 लाख bms के सदस्य🔺50लाख abvp के कार्यकर्ता🔺10 करोड़ बीजेपी सदस्य🔺500 प्रकाशन समूह🔺4 हजार पूर्णकालिक सदस्य🔺एक लाख पूर्व सैनिक परिषद🔺7 लाख विहिप और बजरंग दल के सदस्य🔺13 राज्यों में सरकारें🔺283 सांसद🔺500 विधायक । बहुत टाइम लगेगा संघ जैसा बनने में.... सब लगें हैं मुसलमानो का राजनितिक अस्तित्व खत्म करने में। तुम तो बस वहाबी देवबंदी-बरेलवी-शिया-सुन्नी जैसे आपस में लड़ने वाले फिरकों तक ही सिमित रहो.........और मस्लक मस्लक खेलते रहो........ ... अकेले में बैठकर सोचें कि आप अपने आने वाली नस्लों के लिए क्या छोड़कर जा रहे हैं।

जानिए इस्लाम के बारे में वह छह झूठ बातें, जिसे दुनिया मानती है सच

February 15, 20170218   बीते कुछ सालों में कट्टरपंथी ताकतों और आतंकी संगठनों ने इस्लाम को काफी गलत तरीके से प्रचारित किया है। इन्होंने हिंसा और नफरत फैलाने के लिए भी इसका काफी गलत इस्तेमाल किया। आईएसआईएस इसका सबसे ताजा उदाहरण है। इसने इराक और सीरिया में छिड़े युद्ध को रिलीजियस वॉर में बदल दिया। ये साफ है कि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता। हम इस्लाम को लेकर कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जिनका इस धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है। वेस्ट से नफरत करते हैं मुस्लिम – 2001 से 2007 तक गैलप पोलिंग ऑर्गेनाइजेशन ने वर्ल्डवाइड सर्वे किया था। – इसमें 35 देशों के 50 हजार मुस्लिमों से वेस्टर्न कंट्रीज को लेकर सवाल किए गए। – सिर्फ 2% ईरान, 6% सऊदी अरब के लोगों ने वेस्ट से नफरत होने की बात कही। – वहीं, बाकी ने वेस्टर्न कंट्रीज की टेक्नोलॉजी और डेमोक्रेसी की तारीफ की। – बहुत कम लोगों ने टेररिज्म एक्टिविटीज को नजरअंदाज करने को कहा था।   इस्लाम में महिलाओं को अधिकार नहीं – अक्सर ऐसा बताया जाता है कि इस्लाम में महिलाओं पर काफी पाबंदियां रहती हैं। – लेकिन इसकी वजह सिर्फ अलग-अलग देशों में उनके लोकल