ये अशफाकउल्लाह खां हैं । जिन्हें उर्दू आती है तहरीर को पढ़ ले। ढोंगीयो से गिला कैसा जब अपने ही भूल बैठे है, हमरा क्या हम तो आईना दिखाते रहेंगे । एक नौजवान फांसी के फंदे से उतर कर आखरी सफ़र के लिए तैयार है .. " तुम्हें पता भी नहीं हो तुम्हारे बाद तुम्हें तुम्हारे मुल्क ने सौ बार फिर से मारा है " लेकिन ज़ुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ़ खड़े होने की,मुल्क की फलाह के लिए जान भी दे देने की रीत चली आई है चलती रहेगी ... आप सब को यौम ए आज़ादी मुबारक हो ... (तस्वीर : शहीद अशफाक़ उल्लाह खां )

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