Aaj ki Baat Mere Sath !

ब्राह्मण दिन रात हिन्दू-हिन्दू क्यों चिल्लाते रहता है-एक सनसनीखेज़ खुलासा!

बी.के. शिवाजी अंबेडकर
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ब्राह्मण दिन रात हिन्दू हिन्दू क्यों चिल्लाते रहता है इसका एक सनसनीखेज खुलासा >>>
1)बामन जात को पता है की, जब तक उसने ”हिन्दू” नाम की चादर, धर्म के नाम पर ओढ़ी है, तब तक ही उसका वर्चस्व भारत पर है !!
2)क्योकि बामन जानता है की बामन ,बामन के नाम पर गाव का ”प्रधान” भी नहीं हो सकता ,”हिन्दू” के नाम पर ”प्रधानमन्त्री” और ”केन्द्रीय मंत्री” झट से बन जाता है !!
3)बामन यह भी जनता है की जिस दिन यह ”हिन्दू” नाम की चादर खुल गयी कुत्ते की मौत मारा जाएगा, इसीलिए बामन दिन रात ”हिन्दू-हिन्दू-हिन्दू” रटते रहता है,
४)जब की बामन खुद यह जानता है की ”हिंदू” नाम का कोई धर्म नही है …हिन्दू फ़ारसी का शब्द है ।
5)हिन्दू शब्द न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में ।
6)स्वयं बामन जात ”दयानन्द सरस्वती” कबूल करते हैं कि यह मुगलों द्वारा दी गई गाली है ।
7)1875 में बामन ”दयानन्द सरस्वती” ने ”आर्य समाज” की स्थापना की ”हिन्दू समाज” की नहीं ।
8)अनपढ़ बामन भी यह बात जानता है की बामनो ने स्वयं को ”हिन्दू” कभी नहीं कहा। आज भी वे स्वयं को ” बामन ” ही कहते हैं, लेकिन सभी मूलनिवासी शूद्रों को हिन्दू कहते हैं ।
9)जब शिवाजी हिन्दू थे और मुगलों के विरोध में लड़ रहे थे तथा तथाकथित हिन्दू धर्म के रक्षक थे तब भी पूना के बामनो ने उन्हें ”शूद्र” कह राजतिलक से इंकार कर दिया । घूस का लालच देकर बामन गागाभट्ट को बनारस से बुलाया गया । गगाभट्ट ने “गागाभट्टी”लिखा उसमें उन्हें विदेशी राजपूतों का वंशज बताया तो गया लेकिन राजतिलक के दौरान मंत्र “पुराणों” के ही पढे गए वेदों के नहीं ।तो शिवाजी को ”हिन्दू” तब नहीं माना।
10) बामनो ने मुगलों से कहा हम ”हिन्दू” नहीं हैं बल्कि, तुम्हारी तरह ही विदेशी हैं परिणामतः सारे हिंदुओं पर जज़िया लगाया गया लेकिन बामनो को मुक्त रखा गया ।
11) 1920 में ब्रिटेन में वयस्क मताधिकार की चर्चा शुरू हुई ।ब्रिटेन में भी दलील दी गई कि वयस्क मताधिकार सिर्फ जमींदारों व करदाताओं को दिया जाए । लेकिन लोकतन्त्र की जीत हुई । वयस्क मताधिकार सभी को दिया गया । 
देर सबेर ब्रिटिश भारत में भी यही होना था ।
तिलक ने इसका विरोध किया । कहा
” तेली, तंबोली , माली, कूणबटो को संसद में जाकर क्याहल चलाना है।
ब्राह्मणो ने सोचा यदि भारत में वयस्क मताधिकार यदि लागू हुआ तो अल्पसंख्यक बामन मक्खी की तरह फेंक दिये जाएंगे ।अल्पसंख्यक बामन कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकेंगे । सत्ता बहुसंख्यकों के हाथों में चली जाएगी । तब सभी ब्राह्मणों ने मिलकर 1922 में “हिन्दू महासभा” का गठन किया ।
12)जो बामन स्वयं हो हिन्दू मानने कहने को तैयार नहीं थे वयस्क मताधिकार से विवश हुये । परिणाम सामने है । भारत के प्रत्येक सत्ता के केंद्र पर बामनो का कब्जा है । 
सरकार में बामन , विपक्ष में बामन , कम्युनिस्ट में बामन , ममता बामन , जयललिता बामन , 367 एमपी बामनो के कब्जों में है ।
13) सर्वोच्च न्यायलयों में बामनो का कब्जा, ब्यूरोक्रेसी में बामनो का कब्जा, मीडिया, पुलिस , मिलिटरी , शिक्षा, आर्थिक सभी जगह बामनो का कब्जा है ।
14) मतलब एक विदेशी गया तो दूसरा विदेशी सत्ता में आ गया । हम अंग्रेजों के पहले बामनो के गुलाम थे अंग्रेजों के जाने के बाद भी बामनो के गुलाम हैं । यही वह ”हिन्दू” शब्द है जो न तो वेद में है न पुराण में न उपनिषद में न आरण्यक में न रामायण में न ही महाभारत में । फिर भी ब्राह्मण हमें हिन्दू कहते हैं और हिन्दू की आड़ में अल्पसख्य बामन बहुसंख्य बन भारत का कब्ज्जा कर लेते है !!!
यह रहा हिन्दू नाम की आड़ में विदेशी ब्राह्मणों के कब्ज्जे का सबुत ,
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१)देश के 8676 मठों के मठाधीश
सवर्ण : 96 प्रतिशत
(इसमें ब्राह्मण 90 प्रतिशत)
ओबीसी : 4 प्रतिशत
एससी : 0 प्रतिशत
एसटी : 0 प्रतिशत
स्रोत : डेली मिरर,
२)प्रथम श्रेणी की सरकारी नौकरियों में जातियों का विवरण
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सवर्ण : 76.8 प्रतिशत
ओबीसी : 6.9 प्रतिशत
एससी : 11.5 प्रतिशत
एसटी : 4.8 प्रतिशत
स्रोत : वी. नारायण स्वामी, राज्यमंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार द्वारा संसद में शरद यादव के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए.
३)देश का कोई भी विश्वविद्यालय दुनिया के टॉप 200 में कहीं नहीं है. इन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का जातीय विवरण निम्न प्रकार से है:
___________________
सवर्ण – 90 प्रतिशत
ओबीसी – 6.9 प्रतिशत
एससी – 3.1 प्रतिशत
एसटी – 0 प्रतिशत
स्रोत : डेली मिरर
४)हमारे शिक्षा संस्थानों में से एक भी दुनिया के टॉप 200 में कहीं नहीं है. केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 8852 शिक्षक कार्यरत हैं जिनमें विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व निम्न प्रकार है:
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सवर्ण : 7771
ओबीसी : 1081
एससी : 568
एसटी : 268
स्रोत : RTI No. Estt./P10/69-2011/I.I.T. K267Jan.29, 2011
~~भारतीय मीडिया तंत्र के मालिक और उनकी हकीकत
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1=टाईम्स ऑफ इंडिया=जैन(बनिया) 
2=हिंदुस्थान टाईम्स=बिर्ला(बनिया) 
3=दि.हिंदू=अयंगार(ब्राम्हण)
4=इंडियन एक्सप्रेस=गोयंका(बनिया) 
5=दैनिक जागरण=गुप्ता(बनिया) 
6=दैनिक भास्कर=अग्रवाल(बनिया)
7=गुजरात समाचार=शहा(बनिया) 
8=लोकमत =दर्डा(बनिया) 
9=राजस्थान पत्रिका=कोठारी(बनिया)
10=नवभारत=जैन(बनिया) 
11=अमर उजाला=माहेश्वरी(बनिया)
~~भारत सरकार के असली मलिक… वह कौन है… क्या यह सारी कंपनी, मिडिया (प्रिंट और टी.व्ही. चैनल्स) किसके पास है… क्या एस.सी., एस.टी., ओबीसी या मुसलमानो के पास मै है… कौन भ्रष्ट है?… यह पता चल जायेगा… कॉंग्रेस, बीजेपी या कम्युनिस्ट पार्टी पहले से ही ब्राम्हणो की है… उनको नीचे दिये गये लोग चलाते है…
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१) एससी सिमेंट कंपनी=सुमित बैनर्जी(ब्राम्हण) 
२) भेल=रविकुमार/कृष्णास्वामी(ब्राम्हण)
३) ग्रासिम हेंडालकी=कुमार मंगलम/बिर्ला(बनिया) 
४) आयसीआयसी बँक=के.व्ही.कामत(ब्राम्हण)
५) जयप्रकाश असो.=योगेश गौर(ब्राम्हण)
६) एल. & टी.=एम.ए.नाईक (ब्राम्हण)
७) एनटीपीसी=आर.एस.शर्मा(ब्राम्हण ) 
८) रिलायन्स=मुकेश अंबानी(बनिया)
९) ओएनजीसी=आर.एस.शर्मा(ब्राम्हण) 
१०) स्टेट बँक ऑफ इंडिया=ओपी भट(ब्राम्हण)
११) स्टर लाईट इंडस्ट्री=अनिल अग्रवाल(बनिया) 
१२) सन फार्मा=दिलीप सिंघवी(ब्राम्हण)
१३) टाटा स्टील=बी.मथुरामन(ब्राम्हण) 
१४) पंजाब नैशनल बँक=के. सी. चक्रवर्ती(ब्राम्हण)
१५) बँक ऑफ बडोदा=एम.डी.माल्या(ब्राम्हण) 
१६) कैनरा बँक=ए.सी.महाजन(बनिया)
१७) इनफोसीस=क्रीज गोपालकृष्णन(ब्राम्हण) 
१८) टीसीए=सुभ्रमन्यम रामदेसाई(ब्राम्हण)
१९) विप्रो=अजीम प्रेमजी(खोजा) 
२०) किंगफिशर (विमान कंपनी)=विजय माल्या(ब्राम्हण)
२१) आयडीया=आदित्य बिर्ला(बनिया) 
२२) जेट एअर वेज=नरेश गोयल(बनिया)
२३) एअर टेल=मित्तल (बनिया) 
२४) रिलायन्स मोबाईल=अंबानी (बनिया)
२५) वोडाफोन=रोईया(बनिया) 
२६) स्पाईस=मोदी(बनिया)
२७) बि.एस.एन.एल.=कुलदीप गोयल(बनिया) 
२८) टी.टी.एम.एल.=के.ए.चौकर(ब्राम्हण),,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इन ब्राह्मण के फेंके जाल में मत फसिये
पढ़िए और परिक्षण कर के जानिए.
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आरएसएस
राष्ट्रवादी या जातिवादी? 
महाराष्ट्र के कुछ पुरातनपंथी ब्राह्मणों द्वारा स्थापित करके विक्सित किया गया संघ(आरएसएस) राष्ट्रवादी है या जातिवादी ?
इसका परिक्षण 2004 के राष्ट्रिय स्तर के संघ के पदाधिकारियो के नीचे वर्णित विवरण में दिए गए नामो में से देश के भिन्न-भिन्न सामाजिक समूहों का कितना प्रतिनिधित्व है,
उनका विश्लेषण करने से हो सकता है. क्रम – – पद – -
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- – – – – – नाम – – – – – – – वर्ण
01. सरसंघचालक – – – – के.एस.सुदर्शन – – – – -ब्राह्मण
02. सरकार्यवाह – – – – – मोहनराव भागवत – -ब्राह्मण
03. सह सरकार्यवाह – – – मदनदास. – – – – – – -ब्राह्मण
04. सह सरकार्यवाह – – – सुरेश जोशी – – – – – -ब्राह्मण
05. सह सरकार्यवाह – – – सुरेश सोनी – – – – – -वैश्य
06.शारिरीक प्रमुख – – – उमाराव पारडीकर – -ब्राह्मण
07. सह शारीरिक प्रमुख – के.सी.कन्नान – – – – -वैश्य
08.बौध्धिक प्रमुख – – – -रंगा हर – – – – – – – -ब्राह्मण
09. सह बौध्धिक प्रमुख – -मधुभाई कुलकर्णी – – -ब्राह्मण
10. सह बौध्धिक प्रमुख – -दत्तात्रेय होलबोले – –ब्राह्मण
11. प्रचार प्रमुख – – – – – श्रीकान्त जोशी – – — ब्राह्मण
12. सह प्रचार प्रमुख – – – अधिश कुमार – – – – -ब्राह्मण
13. प्रचारक प्रमुख – – – – एस,वी. शेषाद्री – – – -ब्राह्मण
14. सह प्रचारक प्रमुख – – श्रीकृष्ण मोतिलाग – -ब्राह्मण
15. सह प्रचारक प्रमुख – – सुरेशराव केतकर – – -ब्राह्मण
16. प्रवक्ता – – – – – – – -राम माधव – – – – – -ब्राह्मण
17. सेवा प्रमुख – – – – – -प्रेरेमचंद गोयेल – – – -वैश्य
18.सह सेवा प्रमुख – – – -सीताराम केदलिया – -वैश्य
19.सह सेवा प्रमुख – – – -सुरेन्द्रसिंह चौहाण – – -क्षत्रिय
20. सह सेवा प्रमुख – – – -ओमप्रकाश- – – – – – -ब्राह्मण
21. व्यवस्था प्रमुख – – – -साकलचंद बागरेचा – -वैश्य
22.सहव्यवस्था प्रमुख – – बालकृष्ण त्रिपाठी – –ब्राह्मण
23. संपर्क प्रमुख – – – – – हस्तीमल – – – – – – – -वैश्य
24.सह संपर्क प्रमुख – – – इन्द्रेश कुमार- – – – – -ब्राह्मण
25. सभ्य- – – – – – – – – राघवेन्द्र कुलकर्णी – – -ब्राह्मण
26. सभ्य – – – – – – – – -एम.जी. वैद्य – – – – – -ब्राह्मण
27. सभ्य – – – – – – – – -अशोक कुकडे- – – – – -शुद्र
28. सभ्य – – – – – – – – -सदानंद सप्रे- – – – – – -ब्राह्मण
29. सभ्य – – – – – – – – -कालिदास बासु – – – – -ब्राह्मण
30. विशेष आमंत्रित – – – सूर्य नारायण राव – – -ब्राह्मण
31. विशेष आमंत्रित – – – श्रीपति शास्त्री – – — – ब्राह्मण 
32. विशेष आमंत्रित – – – वसंत बापट — – – – – ब्राह्मण
33. विशेष आमंत्रित – – – बजरंगलाल गुप्ता – – – -वैश्य
(स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम इंटरनेट पर आधारित-2004)
अखिल भारतीय स्तर पर सर संघचालक के.एस.सुदर्शन
सहित 24 ब्राह्मण यानी 72.73%,
7 वैश्य यानी 21.21%, 
1 क्षत्रिय यानी 3.03% 
और 
1 शुद्र यानी 3.03%
प्रतिनिधित्व देखने को मिलता है.ब्राह्मण और वैश्य जैसी उच्चवर्ग जातियो का 93.04% प्रतिनिधित्व है. 5% विक्सित शुद्र और 45%, पिछड़े शुद्र(ओबीसी) तथा 24% एससी-एसटी जातियों को मिला कर 75%, आबादी का 1 यानी सिर्फ 3.03% ही प्रतिनिधित्व है.एससी-एसटी जातियों का कोई प्रतिनिधित्व
ही नहीं है.
ऊपर का ये चित्र ब्राह्मण जातिवादके नंगे नाच का चित्र है. संघ के जातिवादी ब्राह्मण नेताओ ने भारत को 11क्षेत्रों में बांट कर अपने जाति संगठन को आरएसएस के नाम से जमाया है. इन क्षेत्रो का संचालन करने वालो का सामाजिक चित्र नीचे दिया गया है.
11 क्षेत्रो के 34 पदाधिकारियों में सामाजिकप्रतिनिधित्व
___________________
सामाजिकवर्ग – – – – आबादी – – -
पदाधिकारी – हिस्सेदारी
1. ब्राह्मण – – – – – -03.00% – – – 24 – — – 70.59%
2. क्षत्रिय-भूमिहार – 05.90% – – – 01- – – – 02.94%
3. वैश्य – – – – – – -01.70% – – – 07 – – – -20.55%
4. शुद्र – – – – – – – 51.70%- – – – 01 – – — 05.88%
5. अतिशुद्र- – – – – 24.00% – – – -00 – — – 00.00%
(स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम 2004- इंटरनेट पर आधारित)
केवल अखिल भारतीय संघ ही नहीं परन्तु 11 क्षेत्रोंमें बंटा हुए आरएसएस का क्षेत्रीय नेतृत्व भी ब्राह्मण नेताओ के नियंत्रण में है. 11 क्षेत्रोके 34 पदाधिकरियोमे
ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व 70.59% है, जबकि वैश्य 20.59% है. निम्न वर्गोमे शुद्र- अतिशुद्रो की 75% आबादी का पदाधिकरियोमे प्रतिनिधित्व सिर्फ 5.88% ही है. अतिशुद्र मानी गई एससी-एसटी जातियों की 24%, जनसंख्या का तो कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है. ऊपर का चित्र देखने के बाद कोई भी व्यक्ति कह
सकता है की, संघ और संघ द्वारा खड़े किये गए, संगठनो का नियंत्रण ब्राह्मण जाति के हाथ में है. संघ ढोंगी हिन्दुवादी, पाखंडी राष्ट्रवादी और
असली जातिवादी है.जैसा परिक्षण तिन ब्राह्मण सरसंघचालको के जीवनवृतो में से हो सकता है वैसा ही परिक्षण 1998-2004 के दौरान केन्द्र सरकार के
प्रधानमन्त्री रहे संघ के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण प्रचारक अटल बिहारी वाजपेयी के व्यवहार से भी स्पष्ट हो सकता है. वाजपेयी शासन मे ब्राह्मणों को क्या मिला और गैरब्राह्मणों को क्या मिला? 
गैर- ब्राह्मणों में शुद्र-अतिशुद्र(75%) को क्या मिला? केबिनेट और नियुक्ति में कितनी सामाजिक हिस्सेदारी मिली?
- वाजपेयी शासन मे ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व 1998 – 2004
___________________
क्रम – – – – पद – – – – – – – – – – – -कुल – – ब्राह्मण – हिस्सेदारी
1. – केन्द्रीय केबिनेटमंत्री – – – – – – –19 – – 10 — – – 53%
2. – राज्य तथा उपमंत्री – – – – – – – -49 – – 34 — – – 70%
3. – सचीव-उपसचिव-सयुंक्तसचिव – 500 – -340 – — -62%
4. – राज्यपाल-उपराज्यपाल- – – – – -27 – – -13 — – -48%
5. – पब्लिक सेक्टर के चीफ – – – – – 158 – – 91 – – –58%
ये सभी ऐसे पद है जिसकी नियुक्ति केन्द्र सरकार के प्रधानमन्त्री के रूपमे वाजपेयी निर्णय करते थे. 3.5% ब्राह्मण की स्थिति क्या है और 96.5% गैरब्राह्मण की क्या स्थिति है? 75% शुद्र- अतिशुद्रो (obc SC ST) को कितना प्रतिनिधित्व मिला होगा ?
भारत में मूलनिवासियो को न्याय नहीं मिलता क्योकि न्यायपालिका पर विदेशी ब्राह्मण-बनियों का कब्ज्जा है !!
यह रहा सबूत =
___________________
करिया मुंडा रिपोर्ट – 2000 
18 राज्यों की हाईकोर्ट में OBC SC ST जजों की संख्या 
1) दिल्ली – कुल जज 27 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-27 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
2) पटना – कुल जज 32 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-32 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
3) इलाहाबाद – कुल जज 49 ( (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-47 जज ,ओबीसी – 1 जज SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
4) आंध्रप्रदेश – कुल जज 31 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-25 जज ,ओबीसी – 4 जज SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
5)गुवाहाटी – कुल जज 15 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-12 जज ,ओबीसी – 1 जज SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
६) गुजरात -कुल जज 33 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया-30 जज ,ओबीसी – 2 जज SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
7)केरल -कुल जज 24 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 13 जज ,ओबीसी – 9 जज SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
8) चेन्नई -कुल जज 36 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 17 जज ,ओबीसी -16 जज SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
9) जम्मू कश्मीर -कुल जज 12 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 11 जज ,ओबीसी – जज SC- जज ,ST- 1 जज )
10) कर्णाटक -कुल जज 34 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- जज 32 ,ओबीसी – जज SC- 2 जज ,ST- जज )
11) ओरिसा कुल -13 जज (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 12 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
12) पंजाब- हरियाणा -कुल 26 जज (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 24 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
13)कलकत्ता – कुल जज 37 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 37 जज ,ओबीसी -0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
१४) हिमांचल प्रदेश -कुल जज 6 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 6 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
15)राजस्थान -कुल जज 24 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 24 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
16)मध्यप्रदेश -कुल जज 30 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 30 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
17)सिक्किम -कुल जज 2 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 2 जज ,ओबीसी – 0 जज SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
18)मुंबई -कुल जज 50 (विदेशी ब्राह्मण-बनिया- 45 जज ,ओबीसी – 3 जज SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
कुल TOTAL= 481 जज में से ,विदेशी ब्राह्मण-बनिया 426 जज , 
ओबीसी के 35 जज ,
SC के 15 जज ,
ST के 5 जज
नोट-उक्त लेख बी.के. शिवाजी अंबेडकर की फेसबुक पोस्ट से लिया गया है, लेख की जानकारी के लिए ‘तीसरी जंग’ ज़िम्मेदार नहीं है।

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