उपराष्ट्रपति का थप्पड़

उपराष्ट्रपति का थप्पड़ :-

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी विद्वान व्यक्ति हैं और पद की गरिमा को लगभग 8 वर्षों से बचाए हुए हैं और आजतक कोई भी विवाद उनके कारण पैदा हुआ ऐसा कोई उदाहरण नहीं है ।
लोकपाल बिल पर चर्चा के बाद नियमानुसार राज्यसभा स्थगित करने पर उनके पद की गरिमा पर सबसे पहले चोट की इन संघियों ने , परन्तु उपराष्ट्रपति गरिमा बनाये रखे और चुप रहे । आखों की किरकिरी बने उपराष्ट्रपति पर इन संघियों का दूसरा आक्रमण हुआ 26 जनवरी 2015 को परेड के दौरान , जबकि परम्परागत और प्रोटोकॉल के तहत वह सही थे परन्तु इन भगवा ब्रिगेड ने उपराष्ट्रपति की गरिमा तार तार की परन्तु उपराष्ट्रपति चुप रहे और पद की गरिमा बनाए रखे । उपराष्ट्रपति के पद की गरिमा तब फिर तार तार हुई इन भगवा ब्रिगेड के हाथों जब योगा दिवस आया और फिर उनके साथ गालीगलौज की गयी जबकि उपराष्ट्रपति को निमंत्रण नहीं दिया गया था परन्तु उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पद की गरिमा का सम्मान करते हुए चुप रहे ।
और आज यदि वह एक नसीहत देते हैं कि "सबका साथ सबका विकास तब सही से कार्यान्वित होगा जब देश के मुसलमानों के साथ भेदभाव रोका जाए और सुरक्षा दी जाए" तो यही भगवा ब्रिगेड आज फिर उनपर आक्रामक हैं कि संवैधानिक पद की गरिमा का ख्याल नहीं रखा ।यहीं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल नाइक जब सीना ठोक कर कहते हैं कि वह पहले संघी हैं तो पद की गरिमा बढ़ जाती है । वाह रे दोगलापन ।
यही भगवा ब्रिगेड उसी पद की गरिमा को पूर्व में तीन तीन बार बिलावजह तार तार कर चुके हैं तब उनको गरिमा का ध्यान नहीं रखा ।
हामिद अंसारी ने बिल्कुल सही कहा क्योंकि देश का मुसलमान भेदभाव महसूस करता है असुरक्षित महसूस करता है मैं खुद करता हूँ और मानता हूँ कि यदि यह भेदभाव ना होता तो मैं कहीं बेहतर स्थिति में होता , यह बाजार मेरे साथ धर्म के कारण भेदभाव करता है ।राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति देश के अभिभावक हैं और उनकी इस नसीहत को ध्यान में रखते हुए सरकार को कार्य करना चाहिए जिसकी संभावना इस लिए नहीं है क्योंकि जिस देश का प्रधानमंत्री एक मुस्लिम विरोधी संगठन को रिपोर्ट करता हो वह मुसलमानों के साथ भेदभाव क्या दूर करेगा सुरक्षा क्या देगा ।
कातिल को ही सुरक्षा करने को कहेगा कोई तो चुभेगा ही ।

Mohd Zahid

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